मनरेगा योजना बनी उन्नति की नई राह,किसानों के निजी भूमि में समतलीकरण कार्य से परिवार हुआ संबल
लखनपुर. शासन की जनकल्याण कारी योजना की मदद से मजबूत संकल्प वाले के लिए बड़ा वरदान साबित हो जाता है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया हैं ग्राम पंचायत मुटकी में रहने वाला मनरेगा श्रमिक और पेशे से किसान छतर साय ने जैसा बताया जाता है कि छतर साय के पास पहले जमीन होने के बावजूद अच्छे संसाधन नहीं थे उसे केवल मनरेगा के अकुशल रोजगार पर आश्रित रहना पड़ता था। लेकिन उनकी मजबूत इच्छाशक्ति और स्वावलंबन की सोच ने छतर साय को अपने खेतों में ही उन्नति का मार्ग दिखा दिया।
मनरेगा के कारण आर्थिक स्थिति में हुआ सुधार – सरगुजा जिले के लखनपुर जनपद के ग्राम पंचायत मुटकी में रहने वाले पंजीकृत श्रमिक छतर साय ने अपने मेहनत से अब नई राह बना ली है। इस अकुशल श्रमिक के पास पहले जो भूमि थी, वह काफी उबड़-खाबड़ थी किसानी के लिए पूरी तरह से अनुपयुक्त थी। जिससे इस किसान परिवार के पास महात्मा गांधी नरेगा से समतलीकरण कार्य हेतु ग्राम सभा के प्रस्ताव के बाद जिला पंचायत सरगुजा से स्वीकृत किया गया। कुल 15 हजार रूपए से होने वाले इस भूमि सुधार कार्य के लिए ग्राम पंचायत मुटकी को दायित्व दिया गया। यहां छतर साय ने स्वयं अपने गांव के मेहनती श्रमिकों के साथ अपने असमतल भूमि को कृषि के योग्य बनाकर इसकी मेढ़बंदी कराई। इस कार्य से इन्हे अकुशल रोजगार भी प्राप्त हुआ, इसकी मजदूरी सीधे इनके खातों में पहुंची। बीते साल से यह अपनी मेहनत से नरेगा के अकुशल रोजगार का सहारा था। परंतु बीते साल में इन्होंने ग्राम पंचायत से अपने भूमि के समतलीकरण का कार्य कराए जाने हेतु आवेदन किया। उनके आवेदन को ग्राम पंचायत में आहूत ग्राम
सभा में प्रस्तावित करा कार्य स्वीकृति उपरांत कार्य होने बाद अब इनके परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत होने लगी है। अपनी सफलता के लिए खुश होकर छतर साय कहते हैं कि मनरेगा से भूमि सुधार का लाभ मिलने से अब उनकी रोजगार की समस्या हमेशा के लिए खत्म हो गई है। अब हर साल अच्छी आय हो जाती है और पैसों की चिंता भी खत्म हो गई है। कुछ खेतों में वह दो फसल का उत्पादन करते हैं और दो फसल लेकर अतिरिक्त कमाई भी करने लगे हैं। समतलीकरण जैसे छोटे से काम से एक मेहनतकश श्रमिक परिवार की दशा संबल हो रही है।
वही ग्राम पंचायत मुटकी में महिला श्रमिक श्रीपती ने भी अपनी दृढ़ संकल्प से अपनी बंजर भूमि में कुछ ऐसा कर दिखाया है, पहले यहां खेती काम नही कर पाती थी, उसने भी मनरेगा योजना से समतलीकरण कार्य से लाभान्वित होकर अब आसानी से दो फसल का लाभ ले रही है, जिससे वह अब आत्म निर्भर हो अतिरिक्त कमाई का जरिया हासिल कर लिया है।